सोमवार, 7 सितंबर 2015

आज का दिन - 7 सितम्बर- नीरजा भनोट

आज का दिन - 7 सितम्बर 

नीरजा भनोट (7 सितंबर, 1963 - 5 सितंबर 1986) 

              
               नीरजा का जन्म ७ सितंबर १९६३ को पिता हरीश भनोट और माँ रमा भनोट की पुत्री के रूप में चंडीगढ़ में हुआ। उनके पिता  मुंबई में पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत थे और नीरजा की प्रारंभिक शिक्षा अपने गृहनगर चंडीगढ़ के सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकेण्डरी स्कूल में हुई। इसके पश्चात् उनकी शिक्षा मुम्बई के स्कोटिश स्कूल और सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज में हुई।  बचपन से ही इस बच्ची को वायुयान में बैठने और आकाश में उड़ने की प्रबल इच्छा थी। नीरजा ने अपनी इच्छा एयर लाइन्स पैन एम ज्वाइन करके पूरी की। 16 जनवरी 1986 को नीरजा को आकाश छूने वाली इच्छा को वास्तव में पंख लग गये थे। नीरजा पैन एम एयरलाईन में बतौर एयर होस्टेज का काम करने लगी। 
           ५ सितंबर १९८६ के  मुम्बई से न्यूयॉर्क के लिये रवाना पैन ऍम-73 को कराची में चार आतंकवादियों ने अपहृत कर लिया और सारे यात्रियों को बंधक बना लिया। नीरजा उस विमान में सीनियर पर्सर के रूप में नियुक्त थीं और उन्हीं की तत्काल सूचना पर चालक दल के तीन सदस्य विमान के कॉकपिट से तुरंत सुरक्षित निकलने में कामयाब हो गये। पीछे रह गयी सबसे वरिष्ठ विमानकर्मी के रूप में यात्रियों की जिम्मेवारी नीरजा के ऊपर थी और जब १७ घंटों के बाद आतंकवादियों ने यात्रियों की हत्या शुरू कर दी और विमान में विस्फोटक लगाने शुरू किये तो नीरजा विमान का इमरजेंसी दरवाजा खोलने में कामयाब हुईं और यात्रियों को सुरक्षित निकलने का रास्ता मुहैय्या कराया। वे चाहतीं तो दरवाजा खोलते ही खुद पहले कूदकर निकल सकती थीं किन्तु उन्होंने ऐसा न करके पहले यात्रियों को निकलने का प्रयास किया। इसी प्रयास में तीन बच्चों को निकालते हुए जब एक आतंकवादी ने बच्चों पर गोली चलानी चाही नीरजा के बीच में आकार मुकाबला करते वक्त उस आतंकवादी की गोलियों की बौछार से नीरजा की मृत्यु हुई। नीरजा के इस वीरतापूर्ण आत्मोत्सर्ग ने उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हीरोइन ऑफ हाईजैक के रूप में मशहूरियत दिलाई। 
               नीरजा को भारत सरकार ने इस अदभुत वीरता और साहस के लिए मरणोंपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया जो भारत का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है।अपनी वीरगति के समय नीरजा भनोट की उम्र २३ साल थी। इस प्रकार वे यह पदक प्राप्त करने वाली पहली महिला और सबसे कम आयु की नागरिक भी बन गईं।पाकिस्तान सरकार की ओर से उन्हें तमगा-ए-इन्सानियत से नवाज़ा गया।
                अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीरजा का नाम हीरोइन ऑफ हाईजैक के तौर पर मशहूर है। वर्ष २००४ में उनके सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी किया और अमेरिका ने वर्ष २००५ में उन्हें जस्टिस फॉर क्राइम अवार्ड दिया है।


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