मंगलवार, 1 सितंबर 2015

आज का दिन - 1 सितम्बर -श्री गुरु अमरदास

आज का दिन - 1 सितम्बर 

श्री गुरु अमरदास 



                 गुरु अमर दास जी सिक्ख पंथ के एक महान प्रचारक थे। जिन्होंने गुरु नानक जी महाराज के जीवन दर्शन को व उनके द्वारा स्थापित धार्मिक विचाराधारा को आगे बढाया। तृतीय नानक' गुरु अमर दास जी का जन्म ५  अप्रैल १४७९  अमृतसर के बसरका गाँव में हुआ था। उनके पिता तेज भान भल्ला जी एवं माता बख्त कौर जी एक सनातनी हिन्दू थे।

                       गुरु अमरदास ने समाज में फैले अंधविश्वास और कर्मकाण्डों में फंसे समाज को सही दिशा दिखाने का प्रयास किया। उन्होंने लोगों को बेहद ही सरल भाषा में समझाया की सभी इंसान एक दूसरे के भाई हैं, सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं, फिर ईश्वर अपनी संतानों में भेद कैसे कर सकता है। ऐसा नहीं कि उन्होंने यह बातें सिर्फ उपदेशात्मक रुप में कही हों, उन्होंने इन उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लाकर स्वयं एक आदर्श बनकर सामाजिक सद्भाव की मिसाल क़ायम की। छूत-अछूत जैसी बुराइयों को दूर करने के लिये लंगर परम्परा चलाई, जहाँ कथित अछूत लोग, जिनके सामीप्य से लोग बचने की कोशिश करते थे, उन्हीं उच्च जाति वालों के साथ एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते थे।गुरु नानक द्वारा शुरू की गई यह लंगर परम्परा आज भी क़ायम है। लंगर में बिना किसी भेदभाव के संगत सेवा करती है। गुरु जी ने जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिये एक परम्परा शुरू की, जहाँ सभी जाति के लोग मिलकर प्रभु आराधना करते थे। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने हर उस व्यक्ति का आतिथ्य स्वीकार किया, जो भी उनका प्रेम पूर्वक स्वागत करता था। तत्कालीन सामाजिक परिवेश में गुरु जी ने अपने क्रांतिकारी क़दमों से एक ऐसे भाईचारे की नींव रखी, जिसके लिये धर्म तथा जाति का भेदभाव बेमानी था।

         गुरु अमरदास का निधन १   सितम्बर १५७४ को अमृतसर में हुआ था।

2 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

पहले जैसे गुरु अब नहीं मिलते
श्री गुरु अमरदास जी के श्री चरणों में सादर श्रद्धा सुमन!

SATYADEV TIWARI ने कहा…

नमस्ते कविता जी
में आपके विचार से पुरी तरह से सहमत हु पहले जैसे गुरु अब नहीं मिलते |